Friedrich Engles ने एक बार कहा था.
जीवन प्रोटीन पिंडों के अस्तित्व का रूप है, जिसका आवश्यक तत्त्व उनके बाहर के प्राकृतिक पर्यावरण के साथ निरंतर चयापचयी आदान-प्रदान में निहित है, और जो इस चयापचय की समाप्ति के साथ ही समाप्त हो जाता है, जिससे प्रोटीन का विघटन होता है.